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जन्माष्टमी महोत्सव

1995 में जन्माष्टमी के दिन ही श्रीकृष्ण गऊशाला का शुभारंभ हुआ था इस कारण हम इस दिन भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव व गऊशाला का स्थापना दिवस दोनों का उत्सव मनाते हैं। इस उत्सव में गऊशाला के पुराने व नए सभी प्रेमी उपस्थित होते हैं। भगवान का जन्मोत्सव पूजन, भजन आदि करके मनाते हैं। अंत में प्रसाद का वितरण होता है।

जन्माष्टमी महोत्सव
जन्माष्टमी महोत्सव

गोपाष्टमी

यह गऊमाता के पूजन का विशेष पर्व है। कार्तिक अष्टमी के दिन ही पहली बार भगवान श्रीकृष्ण गऊचारण के लिए गायों के साथ वन में गये थे। इस दिन लोग बड़े ही श्रद्धा भाव से गऊशाला आते हैं, गऊ माता का पूजन करते हैं और गऊ माता को गऊग्रास खिलाते हैं। इस दिन गऊशाला में मेले जैसा दृश्य हो जाता है। हजारों लोगों का दिनभर जमावड़ा रहता है। सभी आने वाले गऊभक्त प्रसाद ग्रहण करते हैं।

मकर सक्रांति

हर साल 14 जनवरी के दिन यह पर्व मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि यह बहुत शुभ व कल्याणकारी अवसर है। उस दिन किया गया पुण्य कार्य जैसे दान आदि गुणातीत होकर फलित होता है। संक्रान्ति के दिन बहुत बड़ा जनसमूह गऊशाला आता है। गाँव वालों की तरफ से इस दिन विशाल भण्डारा होता है, सभी आने वाले गऊभक्त प्रसाद ग्रहण करते है।

जन्माष्टमी महोत्सव
जन्माष्टमी महोत्सव

वार्षिकोत्सव

गऊशाला का वार्षिकोत्सव हर साल बड़े धूम-धाम से उत्साहपूर्वक मनाया जाता है यह प्रायः फरवरी या मार्च के महीने में
किसी भी रविवार के दिन सम्पन्न होता है। वार्षिकोत्सव में गऊशाला के प्रगति का विवरण प्रस्तुत किया जाता है और आगामी वर्ष के योजना पर चर्चा होती है। हजारों की संख्या में गऊभक्त और गौशाला के सहयोगी सब एकत्रित होते हैं। अनेक महानुभाव गऊशाला की आवश्यकताओं को देखकर अपने आगामी सहयोग की घोषणा करते हैं।

ट्रस्टी, संरक्षक मिलान समारोह

यह समारोह अप्रैल माह के किसी भी रविवार को दिल्ल्ली के किसी बैंक्वेट हॉल या ऑडीटोरियम में संपन्न किया जाता है| इसमें ट्रस्टी एवं गऊ भक्तों का सम्मान किया जाता है| सांस्कृतिक कार्यक्रम व भोजन प्रसाद की समुचित व्यवस्था रहती है| इस दिन गऊमाता के खाने के लिए साल भर का चारा खरीदने के लिए भक्तों द्वारा बढ़-चढ़ कर दान दिया जाता है, इसलिए इसे चारा भण्डारण समारोह भी कहते हैं|

जन्माष्टमी महोत्सव